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Friday, 9 June 2017

हरिवंशराय बच्चन जी की एक खूबसूरत कविता

_"रब"  ने  नवाजा   हमें जिंदगी  देकर;_
_और हम "शौहरत"  मांगते   रह   गये;_

_जिंदगी  गुजार  दी शौहरत के  पीछे;_
_फिर जीने   की  "मौहलत"   मांगते   रह गये।_

_ये कफन, ये जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ बातें  हैं  मेरे दोस्त,,,_
_वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद  करने वाला कोई ना हो.!!_

_ये  समंदर भी तेरी तरह  खुदगर्ज़ निकला,_
_ज़िंदा थे तो तैरने न दिया और मर गए तो डूबने न दिया _

_क्या  बात   करे   इस   दुनिया  की_
_"हर  शख्स के   अपने  अफसाने हे"_

_जो   सामने  हे उसे   लोग.  बुरा   कहते  हे,_
_जिसको देखा  नहीं उसे   सब "खुदा" कहते   है_

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