_"रब" ने नवाजा हमें जिंदगी देकर;_
_और हम "शौहरत" मांगते रह गये;_
_जिंदगी गुजार दी शौहरत के पीछे;_
_फिर जीने की "मौहलत" मांगते रह गये।_
_ये कफन, ये जनाज़े, ये "कब्र" सिर्फ बातें हैं मेरे दोस्त,,,_
_वरना मर तो इंसान तभी जाता है जब याद करने वाला कोई ना हो.!!_
_ये समंदर भी तेरी तरह खुदगर्ज़ निकला,_
_ज़िंदा थे तो तैरने न दिया और मर गए तो डूबने न दिया _
_क्या बात करे इस दुनिया की_
_"हर शख्स के अपने अफसाने हे"_
_जो सामने हे उसे लोग. बुरा कहते हे,_
_जिसको देखा नहीं उसे सब "खुदा" कहते है_
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