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Thursday 3 November 2016

๐Ÿ‘Œ๐Ÿ‘Œเคฎเคธ्เคค เคฎेเคธैเคœ เคฌेเคŸी เค•े เคจाเคฎ๐Ÿ‘Œ๐Ÿ‘Œ

राजा दशरथ जब अपने चारों बेटों की बारात लेकर राजा जनक के द्वार पर पहुँचे तो राजा जनक ने सम्मानपूर्वक बारात का स्वागत किया |
तभी दशरथ जी ने आगे बढ़कर जनक जी के चरण छू लिए, चौंककर जनक जी ने दशरथ जी को थाम लिया और कहा " महाराज आप बड़े हैं वरपक्षवाले हैं, ये उल्टी गंगा कैसे बहा रहे हैं? "
इस पर दशरथ जी ने बड़ी सुंदर बात कही.., " महाराज आप दाता हैं कन्यादान कर रहे हैं, मैं तो याचक हूँ, आपके द्वार कन्या लेने आया हूँ | अब आप ही बताएँ कि दाता और याचक दोनों में कौन बड़ा है?"
यह सुनकर जनक जी के नेत्रों से अश्रुधारा बह निकली |
भाग्यशाली हैं वो जिनके घर होती हैं बेटियाँ..
🌟

हर बेटी के भाग्य में पिता होता है लकिन हर पिता के भाग्य में बेटी नहीं होती है।..
🙋🙋🙋🙋🙋🙋

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