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Saturday 22 August 2015

संस्कृत की क्लास

संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा=पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ.
"कर्मण्येवाधिका रस्ते मा फलेषु कदाचन".
पप्पू=राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है.
😎😛😛
गुरूजी=मूर्ख,ये अर्थ नही होता है.चल इसका अर्थ बता:-
"बहुनि मे व्यतीतानि,जन्मानि तव चार्जुन."
पप्पू=मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं,सभी का जन्म चार जून को हुआ है.
😬😑😛😛
गुरूजी=अरे गधे,संस्कृत पढता है कि घास चरता है.
अब इसका अर्थ बता:-
"दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा."
पप्पू=दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है.
😛😛
गुरूजी=अरे पागल,तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ?
पप्पू=मालूम है ना.
गूरूजी=तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना.
-हे पार्थ त्वया चापि मम चापि.......! क्या अर्थ है जल्दी से बता.
पप्पू=महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि........
गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही कहते हैं=हाँ,शाबास,बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से........?
पप्पू=भगवान बोले=अर्जुन तू भी चाय पी ले,मैं भी चाय पी लेता हूँ.फिर युद्ध करेंगे.
😛😛
गुरूजी बेहोश..............

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