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Tuesday 24 January 2017

लाडली बेटी

राष्ट्रीय बालिका दिवस

ढोल, नगाड़े, बज़, गये थे।
शादी, बेटी की, वो करा, गये थे।
खून के रिश्ते, पीछे, छोड़,
नये रिश्ते, वो बना, गये थे।
माँ बाप, आज, लुट, गये थे।
दिमाग उनका, सन्न हो, गया था।
हरा भरा घर, खाली हो, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

भूख, उनकी, चली, गयी थी।
खाने की, इच्छा भी, मर, गयी थी।
आँखे, लबा लब, भरी, हुई थी।
पानी ही, पानी, वो बरसा, रही थी।
सब कुछ, धुन्दला, दिख, रहा था।
हरा भरा घर, खाली हो, गया था।
अचानक ही, ये, क्या हो, गया था।

बाहर, ढोल नगाड़े, बज, रहे थे।
स्वागत, नई बहू का, वो करा, रहे थे।
रिश्ते भी, नये, वो बना, रहे थे।
माँ बाप, खुशियों से, नाच, रहे थे।
खज़ाना, अपना, संभाल, रहे थे।
खाली, घर आज़, भर, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

भूख, उनकी भी, चली, गयी थी।
खुशियाँ, उनका पेट, भर, गयी थी।
आँखों की, चमक, बढ़, गयी थी।
दुनिया, रंगीन आज़, हो, गयी थी।
खाली, घर आज़, भर, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

बेटी, ज़ो बहू, बन, गयी थी।
कुछ, दिनों के................!
बाद, ऐक दिन................!
ख्यालों में, वो, खो, गयी थी।
बचपन, अपना, देख, रही थी।
पापा की, वो, लाड़ली, रही थी।
माँ की, वो, प्यारी, गुड़िया थी।
सहेलियों संग, वो, खेला, करती थी।
झूलों पे, वो, झूला, करती थी।
बचपन के, दिन भी वो, क्या, दिन थे।
मौज़ मस्ती, से, भरे, हुवे थे।
बचपन, वो कहाँ, खो, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

बेटी, ज़ो बहू, बन, गयी थी।
फिर से, ख्यालों में, वो, खो, गयी थी।
जब, थोड़ी वो, सयानी हो, गयी थी।
शर्माने, भी वो, लग, गयी थी।
घर जल्दी आजाना, वो सुना, करती थी।
माँ की, डांट भी, अब पड़ा, करती थी।
डांट, माँ की वो, बुरी, लगती थी।
पर, कुछ नहीं, वो कर, सकती थी।
धीरे धीरे, दिन वो, आ, गया था।
शादी, उसकी वो, करा, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

बेटी, ज़ो बहू, बन, गयी थी।
ससुराल में, आज़ वो, घुट, रही थी।
लालची, लोगों संग, वो रह, रही थी।
माँ की, वो डांट उसे, याद आ, रही थी।
अच्छी आज़, उसे वो, लग, रही थी।
पापा के, प्यार को वो, तरस, रही थी।
सब कुछ, उसका, लुट, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

खुश वो, बहुत, हो, गयी थी।
गर्भवती, जो वो, हो, गयी थी।
ख्यालों में, वो, खो, गयी थी।
बच्चे को, वो, खिला, रही थी।
तारीख़, लगातार, बदल, रही थी।
ससुराल, वालों को, वंश, चलाना था।
पोते, का ही, उनको मुँह, देखना था।
अल्ट्रासाउंड, बहू का, कराया, गया था।
बेटी है, गर्भ में, बताया, गया था।
फिर ऐक दिन................!
हॉस्पिटल, उसे, ले जाया, गया था।
गर्भपात, उसका, करा दिया, गया था।
जन्म लेने से................!
पहले ही, बेटी को, मार दिया, गया था।
सब कुछ, उसका, लुट, गया था।
अचानक ही ये, क्या हो, गया था।

उन, सभी से, जो हैं बेटी के, क़ातिल।
क़त्ल करके, हो जावेगा, क्या, हासिल।
गर्, गर्भ में ही, बेटी को, मारोगे।
तुम, सृष्ठी को तो, खत्म ही, कर डालोगे।
तुम भी, किसी की, बेटी से ही, ज़न्मे हो।
बात, तुम अपने, वंश की, करते हो।
गर्, बेटी न होगी................!
तो वंश, संसार का, कैसे, बढ़ाओगे।
घर में, बहू, कहाँ से, लाओगे।
रिश्तों की असली................!
महक का, मज़ा, कैसे, उठाओगे।
माँ, बहन, दादी, नानी.........!
चाची, ताई, बुआ, मामी...!, के,
प्यारे, रिश्ते ये, कैसे, बनाओगे।

माँ बाप के, आँखों का, नूर, होती बेटी।
घर के, बाग़ीचे का, फूल, होती बेटी।
घरों में, बरकत भी, ले कर, आती बेटी।
दिलों में, माँ बाप के, हमेशा, रहती बेटी।
माँ बाप के, दुख़ में, सब कुछ,
छोड़, दौड़ कर, आ, जाती बेटी।
माँ बाप का, शुद्ध, भरोसा, हो

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