आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज चुकाना बाक़ी है।
कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाक़ी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज चुकाना बाक़ी है।
रफ्तार में तेरे चलने से,
कुछ रूठ गये, कुछ छूट गये,
रूठों को मनाना बाक़ी है,
रोतों को हँसाना बाक़ी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज़ चुकाना बाक़ी है।
कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं,
कुछ काम अभी और ज़रूरी हैं,
हसरतें जो घुट गयीं इस दिल में,
उनको दफ़नाना बाक़ी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज़ चुकाना बाक़ी है।
कुछ रिश्ते जुड़कर छूट गये,
कुछ बनते-बनते टूट गये,
उन टूटते-छूटते रिश्तों के,
ज़ख़्मोंं को मिटाना बाक़ी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज़ चुकाना बाक़ी है।
तूँ आगे चल मैं आता हूँ,
क्या छोड़ तुझे जी पाउँगा?,
इन साँसों पर हक़ हैै जिनका,
उनको समझाना बाक़ी है।
आहिस्ता चल ऐ ज़िन्दगी अभी,
कई कर्ज़ चुकाना बाक़ी है।
कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है,
कुछ फ़र्ज़ निभाना बाक़ी है।
*नया साल आप सभी के लिये मंगलमय हो!!!*
No comments:
Post a Comment