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Thursday 9 February 2017

कालजो मत बाल

एक बार एक गणित के अध्यापक से उसकी पत्नी ने गणित मे प्यार के दो शब्द कहने को कहा,
पति ने पूरी कविता लिख दी..
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म्हारी गुणनखण्ड सी नार, कालजो मत बाल
थन समझाऊँ बार हजार, कालजो मत बाल
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1. दशमलव सी आँख्या थारी, न्यून कोण सा कान,
त्रिभुज जेडो नाक, नाक री नथनी ने त्रिज्या जाण,
कालजो मत बाल
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2. वक्र रेखा सी पलका थारी, सरल भिन्न सा दाँत,
समषट्भुज सा मुंडा पे, थारे मांख्या की बारात,
कालजो मत बाल
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3. रेखाखण्ड सरीखी टांगा थारी, बेलन जेडा हाथ,
मंझला कोष्ठक सा होंठा पर टप-टप पड रही लार,
कालजो मत बाल
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4. आयत जेडी पूरी काया थारी, जाणे ना हानि लाभ,
तू ल.स.प., मू म.स.प., चुप कर घन घनाभ,
कालजो मत बाल
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5. थारा म्हारा गुणा स्युं. यो फुटया म्हारा भाग |
आरोही -अवरोही हो गयो, मुंडे आ गिया झाग ।
कालजो मत बाल
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म्हारी गुणनखण्ड सी नार कालजो मत बाल
थन समझाऊँ बार हजार कालजो मत बाल!!

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